Tuesday 17 December 2019

Culture Media Definition and Types in Hindi




कल्चर मीडिया एक ऐसी विधि है जिसमें इंफेक्शन फैलाने वाले जीवाणु और कवक आदि की क्रिम विधि द्वारा वृद्धि किए जाते हैं।
जिस प्रकार एक किसान खाद पानी और उचित वातावरण देकर फसल की वृद्धि करता है ठीक उसी प्रकार प्रयोगशाला में तंबाकू तकशियन कुछ इनफेक्शियस सैंपल जैसे रक्त, पेशाब, मवाद इत्यादि को लेकर उसे उचित पोषक तत्व और वातावरण प्रदान करके सूक्ष्म जीवों की वृद्धि कराकर उसका डायग्नोसिस करते हैं। हैं और फिर उसका ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट लगाते हैं। कल्चर मीडिया के प्रकार - कल्चर मीडिया को विभिन्न प्रकार में विभाजित किया गया है जो निम्नलिखित है - 1) भौतिक स्थिति के आधार पर कल्चर मीडिया को तीन भागों में विभाजित किया गया है ) ए सॉलिड मीडिया बी) सेमी सॉलि'ड मीडिया सी) लिक्विड मीडिया।










2) मीडिया में उपस्थित ऑक्सीकारक और अपचायक तत्वों के आधार पर मीडिया को दो भागों में विभाजित किया गया है
) ए एरोबिक मीडिया
बी) एनएंडिनिक मीडिया 3) पोषक तत्वों के आधार पर मीडिया को तीन भागों में बांटा गया है  ) सिम्पल मीडिया  b) सिंथेटिक मीडिया और  c) विशेष। विशेषण मीडिया के अंतर्गत छह प्रकार के मीडिया आते हैं - a) समृद्ध मीडिया b) समृद्ध मीडिया c) चयनात्मक मीडिया d) विभेदक मीडिया e) संकेतक मीडिया f) परिवहन मीडिया। a) सिंपल मीडिया - न्यूट्रिएंट ब्रोथ इसका सबसे अच्छा उच्छेद है। यह पेप्टन पानी और 1% मांस निकालने के मिश्रण से बना होता है। यदि न्यूट्रिएंट ब्रोथ में हम ग्लूकोज को मिला देते हैं तो यह मिश्रण ग्लूकोज ब्रोथ मुझे बदल जाता है।



















बी) सिंथेटिक मीडिया - यह मीडिया पूरी तरह से रसायनल्स से बनाया जाता है इसका प्रयोग विशेष स्टडी में करते हैं - जैसे डुबो का माध्यम ट्वीन 80 के साथ।


ग) विशेष मीडिया - 1 - समृद्ध मीडिया - जब बेसल मीडियम में कुछ पोषक तत्व जैसे रक्त, सीरम और अंडे इत्यादि को मिला देते हैं तो यह मीडियम एनरिच मीडिया कहलाती है। उदाहरण - ब्लड अगर, लोफर्स सिरम आदि।




2 - समृद्ध मीडिया - कुछ लिक्विड मीडियम में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो जीवाणु के वृद्धि दर को उत्तेजित करते हैं साथ ही अन्य विरोधी जीवाणुओं की वृद्धि को निष्क्रिय करने की भी प्रवृत्ति रखते हैं जिनकी वजह से हमें वही जीवाणु प्राप्त होते हैं जिनके स्ट्रेन हमें होते हैं। होना चाहिए ऐसे मीडियम को एनरिचमेंट मीडिया कहते हैं। 3 - सेलेक्टिव मीडिया - यह एक ठोस मीडिया है जिसमें कुछ विशेष प्रकार के जीवाणुओं की ही वृद्धि होती है। ऐसे तत्व उपस्थित रहते हैं, जो अन्य जीवाणुओं को बढ़ाने के लिए नहीं देते हैं। इस प्रकार में एक ही प्रकार के जीवाणुओं की वृद्धि होती है। इस मीडिया के उदाहरण हैं - डीऑक्सीकॉलेट सिट्रेट अगर (डीसीए), बाइल साल्ट अगर (बीएसए)। 4 - विभेदक मीडिया - जब किसी मीडियम में उपस्थित तत्व की सहायता से हम किसी बैक्टीरिया के चरित्र को डिफरेंशीएट कर सकते हैं तो ऐसे मीडियम को हम डिफरेंशियल मीडिया कहते हैं जैसे मैक्कोंकी अगर।




मैककंकी अगर में दो तरह के कलर दिखने आते हैं तो एक गुलाबी रंग का जिसे हम लैक्टोज फरमेंट (LF) कहते हैं और दूसरा नॉन लेक्टोज फर्मेंटे (NLF) होता है जिसमें कोई भी कलर नहीं आता है।


5 - संकेतक मीडिया - इस प्रकार के मीडिया में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो इंडिकेटर का काम करते हैं जब बैक्टीरिया वृद्धि करते हैं तब मीडिया का कलर चेंज हो जाता है। उदाहरण विल्सन एंड ब्लेयर मीडिया, मैकोनी अगर।
सालमोनेला टायफी विल्सन एंड ब्लेयर मीडियम में जब वृद्धि करते हैं तब मीडिया अपना रंग चेंज करके काले रंग ले लेती है।


6 - परिवहन मीडिया - इस मीडिया का प्रयोग हम तब करते हैं जब हमें किसी कमजोर और संवेदनशील बैक्टीरिया की वृद्धि करनी होती है (जैसे - गोनोकोकी बैक्टीरिया) इनको एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में या किसी अन्य जीवाणुओं जो गैर रोगकारी हैं। पुनः वृद्धि प्रदान करने पर यह जीवित नहीं रहता है। (जैसे कालरा जीव)। ऐसे में परिवहन मीडिया का प्रयोग किया जाता है।
ट्रांसपोर्ट मीडिया का उदाहरण है - स्टुअर्ट का ट्रांसपोर्ट मीडिया।


 
                           धन्यवाद


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